Friday 19 December 2014

*किस्मत*

................* * * किस्मत* * *................

करे तू लाख कोशिशे मगर किस्मत को न बदल पाये । 
किस्मत हि वो चीज ही जिसके बिन जिंदगी मे रंग न आये ॥ 

कहते है लोग किस्मत का कोई धनी नहीं होता ।
अरे बिन किस्मत का भी तो कोई धनी नहीं होता ॥ 

दूसरोंकी जीत को क्यूँ अपनी हार मान लेते हो । 
तुम भी जीत सकते थे ये क्यूँ भूल जाते हो ॥ 

अपनी हार को तुम बदकिस्मत मानते हो ।
फिर सदा किस्मत को कोसते रह जाते हो ॥

यदि कभी जरा अपने अतीत (ख़ुद) में झांककर तो देखो ।
किस्मत ने दिए कितने मौके कभी याद कर के देखो ॥

किस्मत को जिसने समजा आज वो सिकंदर है ।
नासमज है जो वो तो आज भी बन्दर है ॥

ठानलो किस्मत को कोसना नहीं उसपे हावी होना है ।
किस्मत का खेल समज़कर ही जिंदगी को जितना है ॥

- सिद्धेश्वर

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