................* * * किस्मत* * *................
करे तू लाख कोशिशे मगर किस्मत को न बदल पाये ।
किस्मत हि वो चीज ही जिसके बिन जिंदगी मे रंग न आये ॥
कहते है लोग किस्मत का कोई धनी नहीं होता ।
अरे बिन किस्मत का भी तो कोई धनी नहीं होता ॥
दूसरोंकी जीत को क्यूँ अपनी हार मान लेते हो ।
तुम भी जीत सकते थे ये क्यूँ भूल जाते हो ॥
अपनी हार को तुम बदकिस्मत मानते हो ।
फिर सदा किस्मत को कोसते रह जाते हो ॥
यदि कभी जरा अपने अतीत (ख़ुद) में झांककर तो देखो ।
किस्मत ने दिए कितने मौके कभी याद कर के देखो ॥
किस्मत को जिसने समजा आज वो सिकंदर है ।
नासमज है जो वो तो आज भी बन्दर है ॥
ठानलो किस्मत को कोसना नहीं उसपे हावी होना है ।
किस्मत का खेल समज़कर ही जिंदगी को जितना है ॥
- सिद्धेश्वर
करे तू लाख कोशिशे मगर किस्मत को न बदल पाये ।
किस्मत हि वो चीज ही जिसके बिन जिंदगी मे रंग न आये ॥
कहते है लोग किस्मत का कोई धनी नहीं होता ।
अरे बिन किस्मत का भी तो कोई धनी नहीं होता ॥
दूसरोंकी जीत को क्यूँ अपनी हार मान लेते हो ।
तुम भी जीत सकते थे ये क्यूँ भूल जाते हो ॥
अपनी हार को तुम बदकिस्मत मानते हो ।
फिर सदा किस्मत को कोसते रह जाते हो ॥
यदि कभी जरा अपने अतीत (ख़ुद) में झांककर तो देखो ।
किस्मत ने दिए कितने मौके कभी याद कर के देखो ॥
किस्मत को जिसने समजा आज वो सिकंदर है ।
नासमज है जो वो तो आज भी बन्दर है ॥
ठानलो किस्मत को कोसना नहीं उसपे हावी होना है ।
किस्मत का खेल समज़कर ही जिंदगी को जितना है ॥
- सिद्धेश्वर
No comments:
Post a Comment